सर सज्दे में झुकाए , कब तक रहोगे यार।
दिल को सकून दिल से है ,
क्यों बहाये अशुअन की धार।
तन-मन को धोने से दामन धूल ना जायेगा।
चल चिलमन घर अब आपने,
परदेश में पाया बहुत पराया प्यार।
अहले सुबह । उनींदी आँखों में टूटे सपने समेटते चिलमन शहर से निकला गांव की ओर। इसलिए नहीं कि शहर से जी भर गया। बल्कि इसलिए कि शहर में सपना मर गया। शहर की तंग गलियों से लेकर मुख़र्जी नगर तक वर्षों दिन-रात क़िताबों में खोया रहा।सिरहाने प्रतियोगिता दर्पण,सीने पर जीके,जीएस की मोटी किताब।बाल सफ़ेद हुए,आँख की रौशनी कम हुई।सात फ़ेरे कब के पीछे छूट गए। ना बाप को कोई ख़ुशी दे पाया,न माँ को लाल-पीली बत्ती की सैर करा सका। अब तक़दीर पर ताना मारें या सी सेट को गाली बके,आखिर हासिल क्या होगा।
चिलमन के सपने से कितने के सपनों में जान थी। एक का सपना टूटा , कई की जिन्दगी बिखर गई।
दिल को सकून दिल से है ,
क्यों बहाये अशुअन की धार।
तन-मन को धोने से दामन धूल ना जायेगा।
चल चिलमन घर अब आपने,
परदेश में पाया बहुत पराया प्यार।
अहले सुबह । उनींदी आँखों में टूटे सपने समेटते चिलमन शहर से निकला गांव की ओर। इसलिए नहीं कि शहर से जी भर गया। बल्कि इसलिए कि शहर में सपना मर गया। शहर की तंग गलियों से लेकर मुख़र्जी नगर तक वर्षों दिन-रात क़िताबों में खोया रहा।सिरहाने प्रतियोगिता दर्पण,सीने पर जीके,जीएस की मोटी किताब।बाल सफ़ेद हुए,आँख की रौशनी कम हुई।सात फ़ेरे कब के पीछे छूट गए। ना बाप को कोई ख़ुशी दे पाया,न माँ को लाल-पीली बत्ती की सैर करा सका। अब तक़दीर पर ताना मारें या सी सेट को गाली बके,आखिर हासिल क्या होगा।
चिलमन के सपने से कितने के सपनों में जान थी। एक का सपना टूटा , कई की जिन्दगी बिखर गई।
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