ऐ अब्रे करम जरा थम के बरस
इतना न बरस कि वो आ न सके
जब आ जाये तो जमके बरस
और इतना बरस कि वो जा न सके।
हमारी काकी की मोदी से मुहब्बत ओह... मगर बदनसीबी देखिये कि कई दिनों से मन्नत मांग यही गुनगुनाती रही लेकिन मानसून मुआ उस दिन इतना बरसा कि नसीब वाले आ न सके और जो बिहार से यूपी पहुंचे वो खुशनसीब कहीं जा न सके।झल्लाकर काकी कहिन की इ बरसा जहर उगलासन से हुई ,जिससे कार्यक्रम रद्द हो गया और हम मोदी के मीठे वचन सुनने से महरूम हो गए।वैसे भी अब वो बोलते कहां? मोदी जी अब मौनी जी हो गए।देश समेत बिहार और यूपी में यह आसन अधिक होने से उल्टा-पुल्टा प्रभाव तो होना ही है।मैंने पूछा यह कौन सा आसन है?काकी कहिन कि चुनाव के ठीक पहले या बाद , जब शरीर में ज्यादा क्रिएटिन बनने लगे।जुबां पर लागा-लागा रे नमक कुर्सी का टाइप मन करने लगे। दिल-दिमाग हमेशा जात-पात व उन्माद की बात करे।चमचों की फौज एक ही रट लगाये कि आप सबसे आला।आप ही सबका माई-बाप। तन और मन का रिवर्स गियर काम नहीं करे तो समझ लें कि बंदा जहर उग्लासन करेगा।नहीं तो शरीर में इतना जहर फैल जायेगा कि लोग सांप से पहले उसे मार न दे डर सतायेगा। जैसा कि सांसद पप्पू यादव ने बिहार के जहानाबाद जिले में कहा कि सांप से पहले नेता को मारो। खैर, यह आसन करने से आपकी किस्मत का सितारा बुलंद होता है। आसन सही समय और सही जगह पर हो तो आप आम से खास बन सकते हैं। यह आसन दोबारा तब चर्चा में आया जब गिरिराज सिंह को केंद्रीय मंत्री बना दिया गया। कई और ने भी ये आसन आजमाए , लेकिन गलत टाइमिंग के कारण उसे ईट-पत्थर और अंडे-टमाटर मिले।बिहार में यह आसन शुरू है। चुनाव करीब आते ही उम्दा जहर उग्लासन से जनता जरूर दो-चार होगी।