Wednesday, July 1, 2015


ऐ अब्रे करम जरा थम के बरस
इतना न बरस कि वो आ न सके
जब आ जाये तो जमके बरस
और इतना बरस कि वो जा न सके।
हमारी काकी की मोदी से मुहब्बत ओह... मगर बदनसीबी देखिये कि कई दिनों से मन्नत मांग यही गुनगुनाती रही लेकिन मानसून मुआ उस दिन इतना बरसा कि नसीब वाले आ न सके और जो बिहार से यूपी पहुंचे वो खुशनसीब कहीं जा न सके।झल्लाकर काकी कहिन की इ बरसा जहर उगलासन से हुई ,जिससे कार्यक्रम रद्द हो गया और हम मोदी के मीठे वचन सुनने से महरूम हो गए।वैसे भी अब वो बोलते कहां? मोदी जी अब मौनी जी हो गए।देश समेत बिहार और यूपी में यह आसन अधिक होने से उल्टा-पुल्टा प्रभाव तो होना ही है।मैंने पूछा यह कौन सा आसन है?काकी कहिन कि चुनाव के ठीक पहले या बाद , जब शरीर में ज्यादा क्रिएटिन बनने लगे।जुबां पर लागा-लागा रे नमक कुर्सी का टाइप मन करने लगे। दिल-दिमाग हमेशा जात-पात व उन्माद की बात करे।चमचों की फौज एक ही रट लगाये कि आप सबसे आला।आप ही सबका माई-बाप। तन और मन का रिवर्स गियर काम नहीं करे तो समझ लें कि बंदा जहर उग्लासन करेगा।नहीं तो शरीर में इतना जहर फैल जायेगा कि लोग सांप से पहले उसे मार न दे डर सतायेगा। जैसा कि सांसद पप्पू यादव ने बिहार के जहानाबाद जिले में कहा कि सांप से पहले नेता को मारो। खैर, यह आसन करने से आपकी किस्मत का सितारा बुलंद होता है। आसन सही समय और सही जगह पर हो तो आप आम से खास बन सकते हैं। यह आसन दोबारा तब चर्चा में आया जब गिरिराज सिंह को केंद्रीय मंत्री बना दिया गया। कई और ने भी ये आसन आजमाए , लेकिन गलत टाइमिंग के कारण उसे ईट-पत्थर और अंडे-टमाटर मिले।बिहार में यह आसन शुरू है। चुनाव करीब आते ही उम्दा जहर उग्लासन से जनता जरूर दो-चार होगी।

भ्रमासन


जब नज़रें आसमां की और टिक जाये। दिल-दिमाग नाउम्मीदी का दामन थाम ले। ग़मगीन घटाएँ घनी होकर जब तब बरस जाये। आसपास की जहरीली हवा जीने न दे तो 284 आसनों में से एक भ्रमासन ही आपके लिए रामवाण है।इस आसन में आप फीलगुड महसूस करेंगें। इंडिया शाइनिंग का अक्स आपके चेहरे को पतंजलि प्रोडक्ट की तरह क्रांति और तेजस्वी बना देगा।आपके खराब दिन लद जायेंगे और अच्छे दिनों की शुरुआत हो जाएगी। इस आसन की खोज राजपथ पर योग दिवस के दिन तब हुई जब रेलवे की तमाम परेशानी से निज़ात पाने को प्रभु जी सारे योगी को छोड़ एक अलग आसन में चले गए। अब यह आसन पाठ्यक्रम में शामिल होगा। इस आसन का उपयोग बिहार चुनाव में भी होगा। राजपथ से योग करके लौटीं काकी कहिन कि बेटा! हालात ने वक़्त से पहले कितनों को बूढ़ा बना दिया। वरना सभी कहते कि ये बाल हमने धूप में नहीं पकाए हैं।इसलिए भ्रमासन कीजिये और करायिए। इससे आपका भला होगा और दूसरे को भाला होगा।

नाक कटी पर घी तो चाटा


सुबह -सुबह काकी किचकिच।इतना सुनना था कि काकी बमक गयी। हमरे किचकिच से कान कनकना रहा है। मानसून लेट से आया लेकिन इ  सुषमा, वसुन्धरा , पंकजा मुंडे ,स्मृति ईरानी  के साथ-साथ यूपी -बिहार में कौन-कौन किचकिच कर दिया उससे दिमाग दनदना नहीं रहा है। पूरा गांव मोहल्ला के लोग चौपाल पर सतनारायण कथा की जगह मन की बात योगा के साथ सुन रहे हैं।इधर फेसबुक पर भी हर कोई कुछ न कुछ पात रहा है।लेकिन मुआ तू तो मुद्दतों बाद प्रोफाइल पिक्चर बदलता है.महज डीसी ,टीसी और बॉटम से दुनिया चलती है क्या? चल आज से काकी कहिन करके ही कुछ पोस्ट कर। लाइक के लिए नहीं रे। अभी तू उस लायक कहां। लिख काकी की पहली कविता।
नाच न जाने आँगन टेढा,खट्टे हैं अंगूर
बन्दर हाथ नारियल शोभे,उल्लू बजाये संतूर।
पोलटिक्स में आया ज्वार भाटा,पीस रहा हूँ मैगी का आटा
खरी-खोटी अम्मा सुनाये लोग लगाये चाटा
अरे क्या हुआ,नाक कटी पर घी तो चाटा।