Wednesday, July 1, 2015

नाक कटी पर घी तो चाटा


सुबह -सुबह काकी किचकिच।इतना सुनना था कि काकी बमक गयी। हमरे किचकिच से कान कनकना रहा है। मानसून लेट से आया लेकिन इ  सुषमा, वसुन्धरा , पंकजा मुंडे ,स्मृति ईरानी  के साथ-साथ यूपी -बिहार में कौन-कौन किचकिच कर दिया उससे दिमाग दनदना नहीं रहा है। पूरा गांव मोहल्ला के लोग चौपाल पर सतनारायण कथा की जगह मन की बात योगा के साथ सुन रहे हैं।इधर फेसबुक पर भी हर कोई कुछ न कुछ पात रहा है।लेकिन मुआ तू तो मुद्दतों बाद प्रोफाइल पिक्चर बदलता है.महज डीसी ,टीसी और बॉटम से दुनिया चलती है क्या? चल आज से काकी कहिन करके ही कुछ पोस्ट कर। लाइक के लिए नहीं रे। अभी तू उस लायक कहां। लिख काकी की पहली कविता।
नाच न जाने आँगन टेढा,खट्टे हैं अंगूर
बन्दर हाथ नारियल शोभे,उल्लू बजाये संतूर।
पोलटिक्स में आया ज्वार भाटा,पीस रहा हूँ मैगी का आटा
खरी-खोटी अम्मा सुनाये लोग लगाये चाटा
अरे क्या हुआ,नाक कटी पर घी तो चाटा।

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