साहेबान, मेहरबान, कदरदान।लोकल लफरों को लात मारिये।ये आपके बूते की बात नहीं।मुखिया मस्त है।विधायक से बहस नहीं और सांसद से सवाल नहीं। आदर्श ग्राम योजना की तरह विकास कार्य प्रगति पर है, कृपया जीवन की गाड़ी धीरे चलाएं।तबतक दुनिया की सबसे बड़ी ऑनलाइन गोबर पातिये प्रतियोगिता में आइए।अपना हुनर दिखाइए। कौन कितना झेला। किस- किस को कितना झेलाया। किसके झोले में कितना झोल है, झट से झारिये। और जो जहाँ जिस हाल में हैं वहीँ खूब गोबर पातिये।
ईनाम ? लाइक, शेयर और कमेंट्स के अलावा खुदा मेहरबान तो गदहा पहलवान। ख़ैर।ठीक से सुन और समझ लीजिये।नेताओं की तरह कालिख नहीं पोतना है, गोबर पातना है।वह भी ज्ञान का।
कोई शर्त नहीं कि गोबर पतंजलि का ही हो। अपना, पराया, खेत- खलिहान, गांव या शहर कहीं का और किसी का भी चलेगा।बस गोबर ज्ञान हो और आप इसे पातने में निपुण हों।चूँकि इस गोबर के गोइठे से पेट की आग नहीं बुझानी है।सिर्फ देश, समाज में धुआं अधिक करवाना है ताकि अश्रु गोला की तरह भीड़ पर इस्तेमाल हो सके।और आपस में आग लगानी या सुलगानी है।शेष जहां तक आपकी समझ सफ़र कर सके। याद रहे, निपुणता ही बेहतर पोजीशन दिला सकती है मौजूदा बाजार में।किसी के दिल-दिमाग में या सत्ता पक्ष या विपक्ष में। बस ध्यान रहे कि गोबर ऐसे पातिये कि मनचाहा पद से पद्मश्री तक मिल जाये।
न ऐसे पातिये कि मिली कुर्सी भी खिसक जाये। या फिर जेल में बेगुनाह सड़ जाएँ।
एक बात और कि सिर्फ गोबर पातना चाइये कि नहीं चाइए में समय बर्बाद न करें।यह खुला मंच है।यहां मन की बात की भी मरम्मत होगी। अब देर किस बात की।मैंने गोबर पाता अब आप लोग भी पातिये..
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