Saturday, November 16, 2013

बन्नो तेरा बर्थडे करोड़ों का रे..

मेरी प्यारी बन्नो! तुम जहां भी हो, जिस हाल में भी हो और जिसके साथ
भी हो, खुश रहना. तुम्हारे आशिक (पूर्व या वर्तमान, तुम जो मानो)
चिलमन ने एनआइए की टीम की तरह जगह-जगह छापेमारी की,
लेकिन तुम कहीं नहीं मिलीं. हर बात पर सहयोगी पार्टी की तरह रूठना
अच्छी बात नहीं. बर्थ-डे पर गुलाब का गुच्छा नहीं दिया, तो तुम नाराज
होकर फुर्र हो गयीं. अरे! कभी देश के ‘अमीर आदमी’ और ‘आम
आदमी’ में फर्क महसूस करो, तो पता चलेगा कि एक आदमी मंगल
पर मंगलमय है, तो दूसरा पीपल पेड़ के नीचे पापड़ बेल रहा है. न तुम
नीता अंबानी हो और न मैं मुकेश कि जोधपुर में गाना गाऊं- बन्नो तेरा
बर्थडे करोड़ों का रे, बन्नो तेरी टी पार्टी लाखों की रे.. न ही मैं बर्थडे
पर तुम्हारे लिए लंदन से झूला
और थाईलैंड से आर्किड के
फूल मंगवा सकता हूं. हम
गुलाब का गुच्छा तो क्या,
खाली गमला भी देने लायक
नहीं हैं. रात में सोचा कि फूलगोभी ही ले लूं, एक पंथ दो काज हो
जायेगा. लेकिन हरी सब्जी का दाम सुन कर सांस फूलने लगी. तुम्हें तो
पता ही है कि महंगाई के कारण दिल का मरीज हो गया हूं. खैर, बड़े
अरमान लिये घर लौटा था कि प्यार से पेट नहीं भरता, लेकिन दिल तो
बहलता है, इसलिए तुम्हें प्यार से वह गीत सुनाऊं जो अमूमन विवाह
के मौके पर गाया जाता है मसलन, बन्नो तेरी अंखिया सुरमेदानी, बन्नो
तेरा झुमका लाख का रे, बन्नो तेरा टीका है हजारी.. फिर सोचा कि
तुम कहोगे कि नीता अंबानी के बर्थ डे पर 220 करोड़ रुपये खर्च हुए
और एक बन्नो मैं जो हजार पर अटकी हूं. गरीबों का मजाक न उड़ाओ.
जानेमन! जरा सोचो, देश में एक तरफ ऐसे लोग हैं जो बर्थडे, टी पार्टी
व शादी समारोहों में करोड़ों रुपये खर्च करते हैं. आतिशबाजी के नाम
पर इजाजत मिले तो मिसाइल, रॉकेट क्या चीज है, एटम बम तक फोड़
सकते हैं. वहीं दूसरी तरफ ऐसे अमीर लोग भी हैं कि अपने बेटे, पोते
की शादी ऐसी सादगी से करते हैं कि लोगों को खबर तक नहीं होती.
अमीरों की आपस में क्या तुलना करना, मैं तो अमीर आदमी और आम
आदमी की बात बता रहा हूं. हम आम लोग अमूमन हर रोज भरपेट
खाना नहीं खाते. जिस दिन अच्छा खाना खाते हैं, तो उसे पर्व कहा
जाता है. खबर बनती है कि आज गरीबों ने भरपेट खाना खाया. और,
‘वे’ रोज जन्नती खाना खाते हैं और एक दिन या कुछ घंटे कुछ नहीं
खाते हैं, तो उसे उपवास पर बैठना कहते हैं और यह बड़ी खबर बनती
हैं. खैर, कोई जरूरी है कि बर्थडे पर करोड़ों लुटाये जायंे. शाही
सालगिरह पर अरबों रुपये फूंक दिये जायें. अरे बन्नो! प्यार, स्नेह,
अपनापन तो तब पता चलता है, जब मन की गहराई से कोई हाथ पकड़
कर कहे, आज कितनी अच्छे लग रही हो. आओ जुल्फों में जूही का
फूल लगा दूं. मैं ताउम्र ईमानदारी से तुम्हारे साथ रहूंगा.

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